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चित्र आधारित बाल कविता लेखन प्रतियोगिता
इस चित्र को देखते ही आपका मन कोई कोमल-सी कविता लिखने का नहीं करता! करता है ना? फिर देर किस बात की, जल्दी भेजिए। आखिरी तारीख- 30 मई 2010
हमसे बढ़िया मटर कौन छीलेगा ?
चलो अपने अंदाज़ में फोटो खिंचवाएँ ।
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11 पाठकों का कहना है :
भोला बचपन!
बहुत सुंदर चित्र :)
सीमा जी...
सच मे बचपन कितना सुंदर व भोला होता है...
आपने सुन्दर तस्वीर दिखा कर बचपन याद दिला दिया...
धन्यवाद
सीमा जी,
बोलती हुई तस्वीरें हैं। बहुत अच्छा प्रस्तुतिकरण।
*** राजीव रंजन प्रसाद
एक मुसुक्राहत आ गयी चहरे पर, यही इन तस्वीरों की सफलता है सीमा जी
बहुत बढ़िया तस्वीरें हैं। आप बोलती हुई तस्वीरें लेने में माहिर हैं।
सुन्दर चित्रत्मक प्रस्तुति,
मुझे अपनी एक रचना याद आ गयी बहुत पहले लिखी थी कभी..
बडा सलौना नजुक प्यारा सुन्दर सा मन,
भोला भाला नट्खट सा होता है बचपन..
एक शाम मैं छत पर बैठा था यूँ अकेला
सहसा बचपन की यादों ने आकर घेरा..
बोलीं जब से तरुण हुये हो भूल गये हो..
मस्त जवानी की बाहों में झूल रहे हो..
याद करो वो वक्त गुजारा था जो संग संग..
भोला भला....
बचपन की यादें ताजा करने के लिये बधाई स्वीकार करें
सीमा जी
बचपन के अमूल्य क्षणों को खूब संजोया है । कितनी प्यारी-प्यारी तसवीरें भेजी हैं । इनको देखकर मुझे
याद आ रहा है------ बार-बार आती है मुझको
मधुर याद बचपन तेरी
गया ले गया तू जीवन की
सबसे मस्त खुशी मेरी ।
बचपन को लौटाने के लिए बधाई
सीमा जी,
कैमरे पर आप का हाथ काफ़ी सधा हुआ है...
सुन्दर चित्रो द्वारा अभिव्यक्ति के लिये बधाई
सीमा जी...
बचपन याद दिला दिया...
बहुत सुंदर चित्र
बचपन को लौटाने के लिए
बधाई
सुंदर चित्र :)
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